تاریخ انتشارشنبه ۱۰ مهر ۱۳۸۹ ساعت ۱۷:۴۰
کد مطلب : ۴۷۷
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इन्तेज़ार
जब काले बादल सूरज के तेजस्वी चेहरे को छिपा दें, दश्त व जंगल सूरज की चरण स्पर्श से वंचित हो जायें और पेड़ पौधे व फल फूल उस सूरज की मुहब्बत की दूरी से बेजान हो जायें तो उस वक़्त क्या किया जाये ? जब अच्छाईयों का मुजस्समा और खुबसूरतियों का आइना अपने चेहरे पर ग़ैबत की नकाब ड़ाल ले और इस दुनिया में रहने वाले उसके लाभ से वंचित हो जायें तो क्या करना चाहिए ?
चमन के फूलों को इंतेज़ार है कि मेहरबान बाग़बान उनको देखता रहे और वह उसकी मुहब्बत भरी बातों से जीवन अमृत पियें। दिल में शौक़ व उमंग है और आँखें बेताब हैं कि किसी तरह जल्दी से जल्दी उस के नूरानी चेहरे की ज़ियारत हो जाये। यहीँ से इंतेज़ार का अर्थ व मअना समझ में आते हैं। जी हाँ ! सभी इंतेज़ार कर रहें हैं कि वह आयें और अपने साथ ख़ुशियों का तोहफ़ा ले कर आयें।
वास्तव में यह इन्तेज़ार कितना दिलकश, खुबसूरत, हसीन व मिठास से भरा हुआ है ! अगर इस की खुबसूरती को नज़र में रखा जाये और इस के मिठास को दिल की गहराईयों से चखा जाये, तो यह बात समझ में आ सकती है।
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