تاریخ انتشارشنبه ۱۰ مهر ۱۳۸۹ ساعت ۱۷:۴۱
کد مطلب : ۴۷۸
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लंबी उम्र
हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की ज़िन्दगी से संबंधित जो बहसें हैं उन में से एक बहस उनकी लंबी उम्र के बारे में भी है। कुछ लोगों के दिमाग़ों में यह सवाल पैदा होता है कि एक इंसान की इतनी लंबी उम्र कैसे हो सकती है ?
इस सवाल का आधार और कारण यह है कि आज कल के ज़माने में साधारण रूप से 80 से 100 साल उम्र होती है... अतः इतनी कम उम्र को देखने और सुनने के बाद, इतनी लंबी उम्र पर कैसे यक़ीन करें !। वरना तो लंबी उम्र का मसला अक़्ल और साइंस के आधार पर भी कोई असंभव बात नहीं है। बहुत से बुद्धिजीवियों ने इंसान के बदन के अंशों पर तहक़ीक़ कर के यह नतीजा निकाला है कि इंसान बहुत ज़्यादा लंबी उम्र भी पा सकता है, यहाँ तक कि उसे बुढ़ापे और कमज़ोरी का एहसास तक नही होगा।
बरनार्ड शा कहता है कि
“सभी बायोलोजिस्ट इस बात को क़बूल करते हैं कि इंसान की उम्र के लिए किसी हद व सामा का निर्धारण नहीं किया जा सकता है, और न ही लंबी उम्र के लिए कोई हद निश्चित नहीं की जा सकती...।”
प्रोफेसर अटेन्गर लिखते हैं कि
“मेरी अपनी राय यह है कि टैक्निकल तरक्की और हमाने जो काम शुरु किया है उसके आधार पर इक्कीसवीं सदी के लोग हज़ारों साल जीवित रह सकते हैं..।”
अतः बुढ़ापे पर क़ाबू पाने और एक लंबी उम्र तक जीवन यापन करने के बारे में बुद्धिजीवियों के लिए कुछ रास्ते हमवार हुए हैं और इस से इस बात का अंदाज़ा होता है कि इस तरह लंबी उम्र पाने की संभावना पाई जाती है। अतः इस बारे में कुछ सकारात्मक क़दम उठाए गए हैं और इस वक़्त भी दुनिया में बहुत से ऐसे लोग मौजूद हैं जो उचित खान पान, जल वायु और अन्य शारीरिक व मानसिक कामों के आधार पर 150 साल या उस से भी ज़्यादा जीवित रहते हैं। इस के अलावा सब से महत्वपूर्ण बात यह है कि इतिहास में ऐसे बहुत से लोग पाये जाते हैं जिन्हों ने लंबी उम्र पाई है। इतिहास व आसमानी किताबों में ऐसे बहुत से लोगों के नाम और उनकी ज़िन्दगी के हालात का वर्णन मिलता हैं जिनकी उम्र आज कल के इंसानों से बहुत ज़्यादा थी।
इस बारे में बहुत सी किताबें और लेख लिखे गए हैं, हम यहाँ पर निम्न लिखित नमूने पेश कर रहे हैं।
1. कुरआने करीम में एक ऐसी आयत है जो न सिर्फ़ यह कि इंसान की लंबी उम्र की खबर देती है बल्कि उम्रे जावेदां (अमरता) के बारे में खबर दे रही है, चुनांचे हज़रत यूनुस (अ. स.) के बारे में वर्णन होता है
فَلَوْلاَاٴَنَّہُ کَانَ مِنْ الْمُسَبِّحِینَ# لَلَبِثَ فِی بَطْنِہِ إِلَی یَوْمِ یُبْعَثُونَ
अगर वह (जानाबे यूनुस अ. स.) मछली के पेट में तस्बीह न पढ़ते तो क़ियामत तक मछली के पेट में ही रहते।
अतः यह आयत बहुत ज़्यादा लंबी उम्र (जानाबे यूनुस (अ. स.) के ज़माने से क़ियामत तक) के बारे में खबर दे रही है और इसे बुद्धिजीवियों व विशेषज्ञों की ज़बान में उम्रे जावेदां (अमरता) कहा जाता है। अतः इंसान और मछली के बारे में लंबी उम्र का मसला एक संभव बात है...।
2. कुरआने करीम में हज़रत नूह (अ. स.) के बारे में वर्णन होता है कि
बेशक हम ने नूह को उन की क़ौम में भेजा जिन्हों ने उन के बीच 950 साल जीवन व्यतीत किया...
इस आयत में जिस मुद्दत का वर्णन हुआ है वह उन की नबूवत और तबलीग की मुद्दत है, क्योंकि कुछ रिवायतों में उल्लेख मिलता है कि हज़रत नूह (अ. स.) की उम्र 2450 साल थी...।
उल्लेखनीय बात यह है कि हज़रत इमाम ज़ैनुल आबदीन (अ. स.) की एक रिवायत में वर्णन हुआ है कि
हज़रत इमाम महदी (अ. स.) की ज़िन्दगी में जनाबे नूह (अ. स.) की सुन्नत पाई जाती है और वह सुन्नत उनकी लंबी उम्र है...।
3. और इसी तरह जनाबे ईसा (अ. स.) के बारे में वर्णन होता है कि
बेशक उनको क़त्ल नहीं किया गया और न ही उनको सूली दी गई है बल्कि उनको ग़लत फहमी हुई है, बेशक उनको क़त्ल नहीं किया गया है बल्कि ख़ुदा वन्दे आलम ने उनको अपनी तरफ़ बुला लिया है कि ख़ुदा वन्दे आलम कुदरत वाला और हकीम है...।
सभी मुसलमान कुरआन व अहादीस के अनुसार इस बात पर ईमान रखते हैं कि हज़रत ईसा (अ. स.) ज़िन्दा हैं और वह आसमानों में रहते हैं। वह हज़रत इमाम महदी (अ. स.) के ज़हूर के वक़्त आसमान से नाज़िल होंगे और उनकी मदद करेंगे।
हज़रत इमाम मुहम्मद बाकिर (अ. स.) फरमाते हैं कि
“उन साहfबे अम्र (इमाम महदी अ. स.) की ज़िन्दगी में चार नबियों (अ. स.) की चार सुन्नतें पाई जाती हैं....उन में हज़रत ईसा (अ. स.) की सुन्नत यह है कि उनके (इमाम महदी अ. स.) बारे में भी लोग यही कहेंगे कि वह मर चुके हैं, जबकि वह ज़िन्दा रहेंगे...
कुरआने करीम के अलावा ख़ुद तौरैत और इंजील में भी लंबी उम्र वाले लोगों का वर्मन हुआ है, जैसा कि तौरैत में उल्लेख हुआ है कि :
जनाबे आदम की पूरी उम्र नौ सौ तीस साल थी जिस के बाद वह मर गए। अनूश की उम्र नौ सौ पांच थी, क़िनान की उम्र नौ सौ दस साल थी, मतूशालेह की उम्र नौ सौ उनहत्तर साल थी...।
इस ाधार पर ख़ुद तौरात में बहुत से लोगों की लंबी उम्रों (नौ सौ साल से भी ज़्यादा) का वर्णन किया गया है।
इंजील में भी कुछ ऐसा वर्णन मिलता हैं जिस से यह बात स्पष्ट होती है कि जनाबे ईसा (अ. स.) सूली पर चढ़ाए जाने के बाद दोबारा ज़िन्दा हुए और आसमानों में ऊपर चले गए... ...और एक ज़माने में आसमान से नाज़िल होंगे जबकि इस वक़्त जनाबे ईसा (अ. स.) की उम्र दो हज़ार साल से भी ज़्यादा है।
प्रियः पाठकों ! इस विवरण से ये बात स्पष्ट हो जाती है कि यहूदी व ईसाई धर्मों के मानने वाले चूँकि अपनी पवित्र किताब पर ईमान रखते हैं अतः उनके अनुसार से भी लंबी उम्र का अक़ीदा सही है।
इन सब के अलावा लंबी उम्र का मसला अक्ल और साइंस के आधार पर भी स्वीकारीय है और इतिहास में इस के बहुत से नमूने मिलते हैं। ख़ुदा वन्दे आलम की असीम कुदरत व शक्ति के आधार पर भी इसे सिद्ध किया जा सकता है। सभी आसमानी धर्मों के अनुयायी इस बात में विश्वास रखते है कि इस संसार का कण कण ख़ुदा वन्दे आलम के क़ब्ज़े में है और समस्त घटकों का प्रभाव भी उसी की ज़ात से संबंधित है, अगर वह न चाहे तो कोई भी घटक अपना असर न दिखाये, लेकिन वह किसी भी घटक के बग़ैर उसके असर व प्रभाव को पैदा कर सकता है।
वह ऐसा अल्लाह है जो पहाड़ो के अन्दर से ऊँट निकाल सकता है, भड़कती हुई आग से जनाबे इब्राहीम (अ. स.) को सकुशल बाहर निकाल सकता है और जनाबे मूसा (अ. स.) व उनके मानने वालों के लिए दरिया को सुखा कर ऐसा रास्ता बना सकता है कि वह दो दीवारों के बीच से आराम से निकल सकें... तो अगर वही अल्लाह तमाम नबियों और वलियों के वारिस, तमाम नेक इंसानों की तमन्नाओं के केन्द्र और कुरआने करीम के इस महान वादे को पूरा करने वाली अपनी आख़िरी हुज्जत को इतनी लंबी उम्र दे तो इस में ताज्जुब की कौन सी बात है।
हज़रत इमाम हसने मुजतबा (अ. स.) फरमाते हैं कि
“ख़ुदा वन्दे आलम उन ( इमाम महदी अ. स.) की उम्र को उनकी ग़ैबत के ज़माने में लंबी कर देगा और फिर अपनी कुदरत के ज़रिये उनको जवानी की हालत में (चालीस साल से कम) ज़ाहिर करेगा, ताकि लोगों को यह यक़ीन हो जाये कि ख़ुदा वन्दे आलम हर चीज़ पर क़ादिर है...।
अतः हमारे बारहवें इमाम हज़रत महदी (अ. स.) की लंबी उम्र भी विभिन्न तरीक़ों, अक्ल साइंस और इतिहास के आधार पर संभव व स्वीकारीय है और इन सबके अलावा ख़ुदा वन्दे आलम और उसकी क़ुदरत के जलवों में से एक जलवा है।
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